DBMS-Normalization क्या हैं ? [Types of Normalization in Hindi]
Normalization concept in logic model:
जटिल data structure को साधारण data structure में परिवर्तन करने की प्रक्रिया normalization कहलाती है। इस प्रक्रिया में विभिन्न relation जिनमें असुविधा हो, को छोटे-छोटे पूर्ण परिभाषित व संगठित relation में विभक्त किया जाता है।
Types of Normalization in Hindi:
इन्हें अलग अलग नाम से जानते हैं जो निम्न है:
- First Normal Form (1NF)
- Second Normal Form (2NF)
- Third Normal Form (3NF)
- Boyee/Codd Normal Form (BCNF)
- Fourth Normal Form (4NF)
- Fifth Normal Form (5NF)
यहाँ पर हम normalization की प्रक्रिया को समझने के लिए निम्न figure को देखते हैं:
Normalization को विभिन पदों में पूरी किया जाता है। इसमें प्रत्येक पद एक normal form से संबंधित होता है। Normal form किसी relation की वह स्टेट होती है, जिसे attributes की relationship से संबंधित नियमो को उस relation पर लागू करके प्राप्त करते हैं।
Pitfalls in database design :
Relational database design के बहुत ही उपयोगी design माना जाता है इसके सामान्यतः नुकसान नही है परंतु परन्तु कुछ परिस्तिथियों में निम्न नुकसान हो सकते हैं :
- जानकारी में कमी के कारण database design बनाने में दिक्कत आ सकती है।
- जानकारी के एक से अधिक बार लिखने (दोहराव) से database design को सही नही माना जा सकता।
- यदि दिया गया जानकारी पर्याप्त नही है तो यह कुछ विशेष जानकारी का प्रतिनिधित्व करता है।
Normalization क्या हैं ?
यह Database को संगठित रखने का तरीका होता है। यह टेबल पर किये जाने वाले कार्य जैसे insertion, deletion और updation को आसान बनाता है। Normalization के द्वारा table के अवांछित एवं अनुपयोगी data को समाप्त करके उसे सरल और आसान तरीक़े से समझने योग्य बना दिया जाता है। Normalization का कार्य stage में किया जाता है इसे समझने के लिए आगे दिए चित्र के देख सकते हैं:
Types of Normalization in Hindi:
First Normal form (1NF):
Student table :
उपरोक्त student table में 'subject' column में दो विद्यार्थियों को दो-दो विषयों में suply है इसलिए इसे 1NF विधि से निम्न प्रकार प्रदर्शित करेंगे:
इसके निम्न कार्य होते हैं:
- उसी table में duplicate column को रोकना।
- एक ही प्रकार के संबधित data के लिए separate table तैयार करना एवं प्रत्येक row को column के unique data के आधार पर पहचान करना।
Second Normal Form (2NF):
इसके निम्न कार्य होते हैं :
- First normal form के सभी आवश्यकताओं को पूरा करे।
- Data के subset को मिटाकर उन्हें अलग से table में replace करना।
- नये table और पूर्व के table जिसे foreign key प्रयोग से तैयार किया गया है उनके बीच relation स्थापित करना।
Third Normal Form (3NF):
उपरोक्त table को में एक अन्य table address के लिए बन सकता है जो निम्न प्रकार हो सकता है :
Address table :
इसके निम्न कार्य होते हैं :
- Second normal form के सभी आवश्यकताओं को पूरा करे ।
- उस column को मिटाना जो primary key पर आधारित नही है।
Fourth Normal Form (4NF):
इसके निम्न कार्य होते हैं :
- second नार्मल फॉर्म के सभी आवश्यकताओं को पूरा करे।
- यदि कोई बहुमूल्य निर्भरता है तो यह एक fourth normal form से एक relation बनाता है।
Boyee Codd Normal form:
इसके तीसरे normal form का एक परिष्कृत संस्करण माना जा सकता है। क्योंकि इसे 3NF के कमियों को दूर करते हुए बनाया गया है। इसलिए इसे 3.5NF के नाम भी जाना जाता है एवं छोटे शब्द में इसे BCNF भी कहते हैं। इसका कार्य लगभग 3NF की तरह ही होता है।
इस प्रकार के normal form के निम्न तत्व होते हैं :
- यह determinate की अवधारणा पर आधारित होता है।
- यदि candidate key के साथ overlapping किया जा रहा है तो भी संबंध की स्थिति में 3NF संतोसजनक परिणाम नही देता।
- यदि composite candidate key है तो कम से कम एक attribute का सभी के लिए common होना आवश्यक होता है।
- जब एक से अधिक candidate key के बीच स्थापित किया जाता है तो इसका परिणाम विसंगतियों के रूप में प्राप्त हो सकता है हालांकि संबंध 3NF के रूपमे होते हैं।
- इसमें कोई एक परिभाषित attribute सरल और मिश्रित होता है इसके बाद के सभी attributesपूर्ण रूप से functional dependence होते हैं।
3 Comments
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